
स्वदेशी क्रांतिकारी
स्वदेशी क्रांति से ही भारत का विश्व गुरु बनाना संभव
Oct 10, 2017
सरकार भ्रष्ट नही भ्रष्टाचार के लिए ही सरकार है !!

Sep 18, 2017
भारतीय सैनिक के जीत का प्रतीक है ये मंदिर
कितने ही देवी देवता और इनमें इतनी ही अपार श्रद्धा कि भक्त अपने भगवान पर इतना भरोसा करते हैं कि उनके लिये कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं… जी हां ये है हिन्दुस्तान की धार्मिक संस्कृति जो देश भर के अलग अलग कोनों में अपने अलग अलग रंग लिये हुए हैं और आज धर्म और श्रद्धा के इन्ही रंगों से रूबरू होने के लिये आपको बताते हैं जैसलमेर में भारत पाक सीमा पर बने तनोट माता मंदिर के बारे में जहां पर भारत पाकिस्तान युद्ध से जुड़ी कई अजीबोगरीब यादें जुडी हुई जो देश भर के श्रद्धालुओं को नहीं वरन सेना को अपने आप से जोड़े हुए है और भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना के लिये भी यह आस्था का केन्द्र बना हुआ है.
सन 1965 व 71 का वो युद्ध और इस मंदिर की कहानी
देश की पश्चिमी सीमा के निगेहबान जैसलमेर जिले की पाकिस्तान से सटी सीमा बना बना यह तनोट माता का मंदिर अपने आप में अद्भुत मंदिर हैं. सीमा पर बना यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था के केन्द्र के साथ साथ भारत पाक के 65 व 71 के युद्ध का मूक गवाह भी है. ये माता के चमत्कार ही है जो आज इसे श्रद्धालुओं और सेना के दिलों में विशेष स्थान दिलाये हुए है. यह कोई दंत कथा नहीं है और न ही कोई मनगढंत कहानी है, 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों और सीमा सुरक्षा बल के जवानों की तनोट माता है मां बनकर ही रक्षा करी थी. 65 के युद्ध के दौरान जब शत्रु सेना भारतीय क्षेत्र में काफी अन्दर तक आ गई थी और उस समय इस दुर्गम सीमा क्षेत्र पर सीमित संसाधन होने के कारण भारतीय सेना उनका जवाब देने में कठिनाई महसूस कर रही तनोट माता ने मां बनकर इन सैनिकों की रक्षा की और पाकिस्तानी सेना के हौंसले पस्त करते हुए उन्हें वापिस जाने को मजबूर कर दिया !
तनोट पर आक्रमण से पहले शत्रु सेनाओं ने तीनों दिशाओं से भारतीय सेना को घेर लिया था और उनकी मंशा तनोट पर कब्जा करने की थी क्योकि अगर पाक सेनातनोट पर कब्जा कर लेती तो वह इस क्षेत्र पर अपना दावा कर कर सकती थी इसलिये दोनो ही सेनाओं के लिये तनोट महत्वपूर्ण स्थान बन गया था. बात है 17 से 19 नवम्बर के बीच की जब दुश्मन की जबरदस्त आग उगलती तोपों ने तनोट को तीनों ओर से घेर लिया था और तनोट की रक्षा के लिये भारतीय सेना की कमान संभाले मेजर जयसिंह के पास सीमित संख्या में सैनिक और असला था ! शत्रु सेना ने इस क्षेत्र पर कब्जा करने के लिये तनोट से जैसलमेर की ओर आने वाले मार्ग में स्थित घंटियाली के आस पास तक एंटी टैंक माईन्स लगा दिये थे ताकि भारतीय सेना की मदद के लिये जैसलमेर के सडक मार्ग से कोई वाहन या टैंक इस ओर न आ सके. इतनी तैयारी और बडे असले के साथ आई पाक सेना का भारतीय सेना के पास मुकाबला करने के लिये अगर कुछ था तो वह था हौसला और तनोतमाता पर विश्वास, और यह उसे विश्वास का ही चमत्कार था कि दुश्मन ने तनोट माता मंदिर के आस पास के क्षेत्र में करीब तीन हजार गोले बरसाये लेकिन इनमें से अधिकांश अपना लक्ष्य चूक गये इतना ही नहीं पाक सेना द्वारा मंदिर को निशाना बना कर करीब 450 गोले बरसाये गये लेकिर माता के चमत्कार से एक भी बम फटा नहीं और मंदिर को खंरोंच तक नहीं आई और फिर माता के इन चमत्कारों से बढे भारतीय सेना के हौंसलों ने पाक सैनिकों वापिस लौटने पर मजबूर कर दिया !
माता के बारे में कहा जाता है कि युद्ध के समय माता के प्रभाव ने पाकिस्तानी सेना को इस कदर उलझा दिया था कि रात के अंधेरे में पाक सेना अपने ही सैनिकों को भारतीय सैनिक समझ कर उन पर गोलाबारी करने लगे और परिणाम स्वरूप स्वयं पाक सेना द्वारा अपनी सेना का सफाया हो गया. इस घटना के गवाह के तौर पर आज भी मंदिर परिसर में 450 तोप के गोले रखे हुए हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिये भी ये आकर्षण का केन्द्र है. 1971 के युद्ध में भी पाक सेना ने किशनगढ पर कब्जे के लिये भयानक हमला किया था परन्तु 65 की ही तरह उन्हें फिर से मुह की खानी पडी. माता की शक्ति को देखकर पाक सेना के कमाण्डर शहनवाज खां ने युद्ध समाप्ति के बाद भारत सरकार से माता के दर्शन की इजाजत मांगी व ढाई वर्ष बाद इजाजत मिलने पर शहनवाज खां ने माता के दर्शन कर यहां छत्र चढाया
लगभग 1200 साल पुराने तनोट माता के मंदिर के महत्व को देखते हुए बीएसएफ ने यहां अपनी चौकी बनाई है इतना ही नहीं बीएसएफ के जवानों द्वारा अब मंदिर की पूरी देखरेख की जाती है ! मंदिर की सफाई से लेकर पूजा अर्चना और यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिये सुविधाएं जुटाने तक का सारा काम अब बीएसएफ बखूबी निभा रही है. वर्ष भर यहां आने वाले श्रद्धालुओं की जिनती आस्था इस मंदिर के प्रति है उतनी ही आस्था देश के इन जवानों के प्रति भी है जो यहां देश की सीमाओं के साथ मंदिर की व्यवस्थाओं को भी संभाले हुए है. बीएसएफ ने यहां दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालुओं के लिये विशेष सुविधांए भी जुटा रखी है और मंदिर और श्रद्धालुओं की सेवा का जज्बा यहां जवानों में साफ तौर से देखने को मिलता है. सेना द्वारा यहां पर कई धर्मशालाएं, स्वास्थ्य कैम्प और दर्शनार्थियों के लिये वर्ष पर्यन्त निशुल्क भोजन की व्यवस्था की जाती है. नवरात्रों के दौरान जब दर्शनार्थियों की भीड बढ जाती है तब सेना अपने संसाधन लगा कर यहां आने वाले लोगों को व्यवस्थाएं प्रदान करती है. तनोट माता के प्रति आम लोगों के साथ साथ सैनिकों की भी जबरदस्त आस्था है. श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाओं को लेकर दर्शन करने के लिये आते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूरा होते भी देखते हैं. इस मंदिर में आने वाला हरेक श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ती के लिये यहां रूमाल अवश्य बांधते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ती के बाद इस खोलने के लिये भी आते हैं !
देश भर की विभिन्न शक्ति पीठों के बीच अपनी विशेष पहचान लिये हुए तनोट माता का मंदिर देखने में भले ही एक मंदिर लगता हो लेकिन वास्तव में यह भारत पाक सीमा पर एक प्रहरी की तरह खडा है जिस पर इस क्षेत्र के लोगों को ही नहीं वरन सेना को भी पूरा भरोसा है कि जब तक माता इस क्षेत्र की रक्षा कर रही है तब तक शत्रु लाख कोशिश कर ले हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता है. 1965 के युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल ने यहाँ अपनी चौकी स्थापित कर इस मंदिर की पूजा-अर्चना व व्यवस्था का कार्यभार संभाला तथा वर्तमान में मंदिर का प्रबंधन और संचालन सीसुब की एक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है. मंदिर में एक छोटा संग्रहालय भी है जहाँ पाकिस्तान सेना द्वारा मंदिर परिसर में गिराए गए वे बम रखे हैं जो नहीं फटे थे. सीसुब पुराने मंदिर के स्थान पर अब एक भव्य मंदिर निर्माण करा रही है. आश्विन और चैत्र नवरात्र में यहाँ विशाल मेले का आयोजन किया जाता है
तनोट माता मंदिर का इतिहास :-
बहुत पहले मामडि़या नाम के एक चारण थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्त करने की लालसा में उन्होंने हिंगलाज शक्तिपीठ की सात बार पैदल यात्रा की। एक बार माता ने स्वप्न में आकर उनकी इच्छा पूछी तो चारण ने कहा कि आप मेरे यहाँ जन्म लें।
माता कि कृपा से चारण के यहाँ 7 पुत्रियों और एक पुत्र ने जन्म लिया। उन्हीं सात पुत्रियों में से एक आवड़ ने विक्रम संवत 808 में चारण के यहाँ जन्म लिया और अपने चमत्कार दिखाना शुरू किया। सातों पुत्रियाँ देवीय चमत्कारों से युक्त थी। उन्होंने हूणों के आक्रमण से माड़ प्रदेश की रक्षा की।
काँस्टेबल कालिकांत सिन्हा जो तनोट चौकी पर पिछले चार साल से पदस्थ हैं कहते हैं कि माता बहुत शक्तिशाली है और मेरी हर मनोकामना पूर्ण करती है। हमारे सिर पर हमेशा माता की कृपा बनी रहती है। दुश्मन हमारा बाल भी बाँका नहीं कर सकता है।
माड़ प्रदेश में आवड़ माता की कृपा से भाटी राजपूतों का सुदृढ़ राज्य स्थापित हो गया। राजा तणुराव भाटी ने इस स्थान को अपनी राजधानी बनाया और आवड़ माता को स्वर्ण सिंहासन भेंट किया। विक्रम संवत 828 ईस्वी में आवड़ माता ने अपने भौतिक शरीर के रहते हुए यहाँ अपनी स्थापना की।
Sep 15, 2017
प्रद्युम्न मेरा नही पूरे देश का बेटा है !!

इसके बाद स्कूल के पास २७ कदम की दूरी पर शराब के ठेके को जला दिया गया !! मेरा तो यही आह्वान है सभी अभिभावकों से कि स्कूल की व्यवस्था और सुरक्षा,शिक्षा का लिखित ब्यौरा मांगे और जिम्मेदारी मांगे ताकि आगामी भविष्य में ऐसी कोई घटना नही हो सके !!
फैशन का जलवा नही एक विचार को बढ़ावा दिया जा रहा है ! एक सोच को कि मॉडर्न बनो, आधुनिक बनो और उस आधुनिकता में लोग नंगा होना शुरू कर रहे है और अपनी आँखों से बलात्कार करने वाले बेशर्म उसको बढ़ावा और उसपर प्रशंसा के फसीदे कस रहे है !! ये मेरे कॉलेज में भी होता था और कई जगह होता भी है ! कपड़े पहनने की आजादी है !! देश आजाद है ! मै कुछ भी पहनूं ! ऐसे जवाब किसी मैक्ले के विचार वंशज की देन है जिसका वो नाम रोशन कर रही है !! कोशिश करे फ़िल्मी,टीवी के ग्लैमर को कॉपी न करने की क्योंकि स्त्रियों,लड़कियों का आभूषण उसका अंग नही उसका स्वाभिमान,मर्यादा,व्यवहार,गुण व् संस्कार है !! अंग का रंग,अंग का प्रदर्शन उन लोगों की परिभाषा है जो आपको इसमें सम्मान और प्रशंसा की बात बताकर अपनी आँखों से बलात्कार करके अपनी हवस बुझाते है !! स्कूल टाइम से लेकर कॉलेज और मार्किट एरिया तक ऐसे कई युवा मिलेंगे जो इसे आजादी की परिभाषा बताते है क्योंकि रोज ऐसे चीज देखने के आदि अब उन्हें मोबाइल से जाकर लाइव,प्रैक्टिकल करने में ये सब मजा आता है !! ये सारी बाते ऐसी है जो सब जानते है पर शर्म के मारे लिखने से कतराते है पर ये सच है और अटल है !! हमारे संस्कार और सोचने के तरीके पर आघार अप्रत्यक्ष रूप से इन्ही फ़िल्मी,टीवी सीरियल,अश्लील पोस्टर और इंटरनेट के दुरुपयोग का परिणाम है !! जब तक अभिभावक ये सोचकर पीछे हटेंगे कि छोड़ो इसके किस्मत में यही लिखा था य सबके साथ थोड़ी न होगा तो मेरी बात जान लीजिये !! जब आपके साथ ऐसा हो तो मत सोचना कोई क्यों नही मेरा साथ आगे आया !! अपने बच्चो को स्कूल में पढ़ाने वाले एक यूनियन बनाये जो कि स्कूल मैनेजमेंट को आड़े हाथो ले सके और उसपर दबाव बना सके ! पूरे भारत में रयान इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य से ये लिखित ब्यौरा और विश्वासपत्र माँगा जाये कि हमारे बच्चे के साथ कुछ भी होता है उसकी जिम्मेदारी आप की होगी !! लिखित इसीलिए बोल रहा हूँ क्योंकि लिखित का भार कानून में ज्यादा होता है !!
अब आपको बस इतना ही कह सकता हूँ कि कुछ टीवी मीडिया और पुलिस वाले ऐसे पापी है एक पैसा खाकर खबरे दबाते है दूसरे पैसा लेकर दोषी छिपाते है !! जब तक आप जागोगे नही तब तक ये हमारा शोषण ऐसे ही करते रहेंगे !! कोशिश करे कि विरोध वैचारिक हो क्योंकि आज वैचारिक क्रांति की सख्त आवश्यकता है !!
फैशन का जलवा नही एक विचार को बढ़ावा दिया जा रहा है ! एक सोच को कि मॉडर्न बनो, आधुनिक बनो और उस आधुनिकता में लोग नंगा होना शुरू कर रहे है और अपनी आँखों से बलात्कार करने वाले बेशर्म उसको बढ़ावा और उसपर प्रशंसा के फसीदे कस रहे है !! ये मेरे कॉलेज में भी होता था और कई जगह होता भी है ! कपड़े पहनने की आजादी है !! देश आजाद है ! मै कुछ भी पहनूं ! ऐसे जवाब किसी मैक्ले के विचार वंशज की देन है जिसका वो नाम रोशन कर रही है !! कोशिश करे फ़िल्मी,टीवी के ग्लैमर को कॉपी न करने की क्योंकि स्त्रियों,लड़कियों का आभूषण उसका अंग नही उसका स्वाभिमान,मर्यादा,व्यवहार,गुण व् संस्कार है !! अंग का रंग,अंग का प्रदर्शन उन लोगों की परिभाषा है जो आपको इसमें सम्मान और प्रशंसा की बात बताकर अपनी आँखों से बलात्कार करके अपनी हवस बुझाते है !! स्कूल टाइम से लेकर कॉलेज और मार्किट एरिया तक ऐसे कई युवा मिलेंगे जो इसे आजादी की परिभाषा बताते है क्योंकि रोज ऐसे चीज देखने के आदि अब उन्हें मोबाइल से जाकर लाइव,प्रैक्टिकल करने में ये सब मजा आता है !! ये सारी बाते ऐसी है जो सब जानते है पर शर्म के मारे लिखने से कतराते है पर ये सच है और अटल है !! हमारे संस्कार और सोचने के तरीके पर आघार अप्रत्यक्ष रूप से इन्ही फ़िल्मी,टीवी सीरियल,अश्लील पोस्टर और इंटरनेट के दुरुपयोग का परिणाम है !! जब तक अभिभावक ये सोचकर पीछे हटेंगे कि छोड़ो इसके किस्मत में यही लिखा था य सबके साथ थोड़ी न होगा तो मेरी बात जान लीजिये !! जब आपके साथ ऐसा हो तो मत सोचना कोई क्यों नही मेरा साथ आगे आया !! अपने बच्चो को स्कूल में पढ़ाने वाले एक यूनियन बनाये जो कि स्कूल मैनेजमेंट को आड़े हाथो ले सके और उसपर दबाव बना सके ! पूरे भारत में रयान इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य से ये लिखित ब्यौरा और विश्वासपत्र माँगा जाये कि हमारे बच्चे के साथ कुछ भी होता है उसकी जिम्मेदारी आप की होगी !! लिखित इसीलिए बोल रहा हूँ क्योंकि लिखित का भार कानून में ज्यादा होता है !!
अब आपको बस इतना ही कह सकता हूँ कि कुछ टीवी मीडिया और पुलिस वाले ऐसे पापी है एक पैसा खाकर खबरे दबाते है दूसरे पैसा लेकर दोषी छिपाते है !! जब तक आप जागोगे नही तब तक ये हमारा शोषण ऐसे ही करते रहेंगे !! कोशिश करे कि विरोध वैचारिक हो क्योंकि आज वैचारिक क्रांति की सख्त आवश्यकता है !!
जयश्रीराम
दिल्ली मेट्रो का प्रचार के नाम पर बेहूदापन !!

दिल्ली मेट्रो में सफर के दौरान आपको कई जगह विमल पान मसाला और अन्य गुटखा के प्रचार दिख जायेंगे !! मै ये सब नही खाता पर मै गुटखा खाने वालो से आग्रह करूँगा कि वो कृपया करके मेट्रो परिसर में जमकर थूके क्योंकि एक तरफ ये गुटखा खाने के लिए प्रेरित करते है और दूसरी तरफ जुरमाना का भय दिखाते है !! एक आम नागरिक को चाहिए कि इनके दोगले पन को समझे क्योंकि अश्लील पोस्टर और नशीले चीजो को प्रचारित करके मेट्रो परिसर को न ये केवल गंदा करते है बल्कि हमे ऐसी चीजे खरीदने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से बाध्य करते है !! प्र्रेगा न्यूज़ हो य अन्य कोई भी चीज ये गलत है !! हर जगह दीपिका और आलिया की तस्वीर देखकर यही लगता है कि एक प्यारे से कुत्ते का फोटो लगा देते वो ज्यादा अच्छा लगता क्योंकि वो नंगे ही अच्छे दीखते है पर जिन्हें वस्त्रों में होना चाहिए वो उप्पर की दो बटन खोलकर जनता को मोहित और आकर्षित करके जनता को ऐसी चीजों के प्रति बाध्य करते है और न केवल बाध्य बल्कि अभारतीयता को भी बढ़ावा देते है !! ऐसे लोगों का निश्चित ही बहिष्कार होना चाहिए !जयश्रीराम
Aug 22, 2017
सिनेमा,सीरियल ही अश्लीलता बढ़ाने के प्रमुख कारण है !
आज के दैनिक जीवन में सिनेमा,सीरियल ही अश्लीलता बढ़ाने के प्रमुख कारण है ! कुछ तत्व हमारे युवाओ पर अश्लीलता का कलंक थोप रहे है। पर इनमे सबसे प्रमुख सिनेमा तो इस घृणित मनोवृत्ति का सबसे बड़ा पृष्ठ-पोषक है। सच पूछा जाये तो गन्दे साहित्य,धारावाहिक(serial) और फिल्मो की जो बढ़ोत्तरी इन दिनों हुयी है उसका मूल कारण है ये सिनेमा ! वर्षो से ये प्रेम(शारीरिक) गीत गा रहा है और कामुकता को भड़काने वाले दृश्य दिखाता रहा है। धीरे-धीरे इन बातो ने समाज के एक बड़े भाग के दिमाग को प्रभावित कर दिया है और आज युवक ही नही छः और आठ वर्ष के बच्चे सिनेमा के श्रृंगार-रस के गाने गाते दिखाई पड़ते है। बहुत थोड़े घर ऐसे है जो इस सत्यानाशी लहर के प्रभाव से बचे है। नही तो क्या जवान स्त्री-पुरुष और क्या लड़के और बूढ़े भी सब सिनेमा के दिवाने हो रहे है। यह स्थिति देश और समाज के कल्याण की दृष्टि से अत्यंत घातक और अहितकर है और राष्ट्र के कर्णधारों तथा शुभाकांक्षियो को इसके निराकरण का प्रयत्न अवश्यमेव करना चाहिए। अन्यथा सामाजिक मर्यादाएँ छिन्न-भिन्न होती रहेगी। सिनेमा एक ऐसा प्रभावशाली साधन है कि उसका सदुपयोग किया जाये तो शिक्षक,स्त्री-पुरुष की मनोवृत्तियों को सदगुणों और सदाचार की तरफ मोड़ने का कार्य बड़ी सफलता पूर्वक किया जा सकता है। रूस ने शिक्षा प्रचार का कार्यक्रम शीघ्र पूरा करने के लिए सिनेमा का ही सहारा लिया था और कुछ ही वर्षो में अपने देश से निरक्षरता का चिन्ह मिटा दिया था। इसी प्रकार देश में कोई संकट आने पर सिनेमा द्वारा लोगो में सेवा,सहयोग और देशभक्ति के भावो को उत्तेजित करने में बहुत कुछ साधन और सहायता प्राप्त किये जाते है। पर हमारे देश में इस प्रकार के लाभों के स्थान पर इसका दुरूपयोग ही देखने को आ रहा है। यहां सिनेमा उद्योग कुछ धन लोलुप और चरित्र,नीति,धर्म आदि की तरफ उपेक्षा भाव रखने वाले व्यक्तियो के हाथ में आ गया है। उन्होंने लोगो की हीन वृत्तियों को भड़काकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने को ही मुख्य लक्ष्य बना लिया है इससे लोगो का बड़े ही तेज़ी से पतन होता जा रहा है और विशेष रूप से लड़को और युवको में तरह तरह के दोष घर करते चले जाते है। सिनेमा के सम्बन्ध में एक अभियोग का फैसला करते हुए मद्रास के चीफ प्रेसीडेंसी मैजिस्ट्रेट ने लिखा था- सिनेमा वर्तमान युग का एक अभिशाप है,उसने माननीय कुलो की हज़ारो कुमारियों को नाचने वाली वेश्या और लड़को भाँड बना दिया है।
इन दिनों सिनेमा में शिक्षा और नीति की जो कुछ चर्चा की जाती है वह इसके दोषो को ढ़कने के लिए है। उनका लक्ष्य तो केवल रुपया कमान है। कुछ खेल,धार्मिक कथानकों पर बनाये जाते है और कुछ का उद्देश्य नैतिक आदर्शो की स्थापना करना बतलाया जाता है और कुछ का उद्देश्य नैतिक आदर्शो की स्थापना करना बतलाया जाता है,पर वे भी अभिनय को आकर्षक बनाने के लिए बिगाड़ दिए जाते है। सिनेमा और धारावाहिक संचालक जानते है कि जब तक सुंदर अभिनेत्रियों के हाव-भाव और उत्तेजक गाने नही होंगे तब तक साधारण दर्शक फ़िल्म और धारावाहिक देखने को न टूटेंगे। यदि कोई एकाध खेल को शिक्षाप्रद बनाने की चेष्टा भी करता है तो उसे अन्य श्रृंगार और विलास की भावनाओ से पूर्ण फिल्मो की अपेक्षा कम सफलता मिलती है और तब वह भी किसी बहाने पतनकारी प्रणाली में ही चलने लगता है। इनका विवेचन करते हुए लेखक ने ठीक ही लिखा है-“प्रत्येक चित्र में ऐंद्रिक तत्वों को गुदगुदाने वाली,उद्दात वासना को प्रदीप्त करने वाली सामग्री भरपूर रहती है, जिसका स्पष्ट प्रभाव दर्शको के मन पर पड़ता है। इसे मनोरंजन कहना स्वतः को धोखा देना है। यह असयंमित ही समस्त दुखो और क्रोध के मूल में काम करती है। इसका परिणाम यह होता है कि कलाकारों का अत्यंत परिश्रम से तैयार किया हुआ चित्र अधिकांश दर्शकों के लिए वासनामय सिद्ध होता है। जनता इतनी तो समझदार सूक्ष्मदर्शी होती नही कि वह चित्र का सार-भाग ग्रहण करे और निरर्थक को छोड़ दे। उसे तो जहां उत्तेजक और भड़कीले चित्र दिखाई दिए, इन पर लट्टू हो जाती है।
अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखे लोगो का यही हाल है। कथाकार का सारा परिणाम दर्शको की वासना उद्दीप्त करने का एक खिलवाड़ मात्र बन जाता है।”
सिनेमा ने न केवल टिकिट खरीदकर सिनेमा हाल के भीतर जाने वाले दर्शको का ही पतन नही किया है वरन् समस्त देश के वातावरण को गन्दा और विषाक्त बना दिया है। आज प्रत्येक शहर की मुख्य सड़को पर अभिनेत्रियों और अभिनेताओ के अश्लीलतापूर्ण भावभंगी वाले बड़े-बड़े पोस्टर चिपके दिखाई पड़ते है, प्रचार के माध्यम से भी ऐसे तत्वों को बढ़ावा दिया जा रहा है। वे भी लोगों में दूषित मनोविकार उत्पन्न करने का साधन बनते है। गली-गली में बड़े लड़के ही नही छोटे-छोटे बच्चे भी सिनेमा के गन्दे गाने बड़ी लय और अदा से गाते फिरते है। स्त्रियों ने प्राचीन घर गृहस्थी की बातो से सम्बंधित गीतों को छोड़ सिनेमा की तर्ज़ पर बने निकृष्ट गीतों को अपना लिया है और धारावाहिको में देख-सुन कर गलत संस्कार को अपना रही है। विवाह शादियों और साधारण उत्सवो में भी सिनेमा के श्रृंगार रसपूर्ण गानो का धड़ल्ले के साथ प्रचार और प्रसार किया जाता है। इस प्रकार सर्वसाधारण में अश्लीलता की वृद्धि होती है और नैतिक भावो का पतन हौ रहा है। इस प्रकार से यह समस्त देश सिनेमा के दूषित संगीत से गूंज रहा है और लोकहितैषी मनीषी इस भयंकर नाद को देखकर ठगे से खड़े है।
सिनेमा द्वारा होने वाले धन नाश के सम्बंध में मद्रास के एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री का यह कथन भी ध्यान देने योग्य है-
“सिनेमा निर्माता गरीबो की कठिन कमाई का शोषण कर रहे है। वे मनुष्यो की कमजोरियों को जानते है और गन्दे चित्र निर्माण कर,लोगों की नीच प्रवत्तियों को उत्तेजित कर उन्हें दुर्भाग्य की ओर प्रेरित करते है। सिनेमा के चित्र लोहो के दिमाग को सड़ा देते है जिससे वे इस प्रकार की बात सोचने लगते है जो उनको हर तरह से नीचे गिराती है।”
गन्दी तस्वीरो का प्रचलन भी अश्लीलता की वृद्धि में साधना का काम करता है। अश्लीलता की इस वृद्धि ने हमारी नारी-समाज का बड़ा अपमान किया है और पुरुष उसे देवी और माता के पद से घसीट कर कामुकता के भाव दिखलाने वाली नर्तकी या वेश्या बना देने की भावना करने लगा है। यह ऐसा जघन्य पाप है जिससे व्यक्ति के साथ समाज का अधःपतन भी अवश्यम्भावी है। जो लोग इस प्रवृत्ति को जन्म देते है वे चाहे सिनेमा निर्माता हो, चाहे श्रृंगारिअ कवि हो या गन्दे उपन्यास के लेखक हो,एक अक्षम्य अपराध करते हैं। क्योंकि इनके प्रभाव से लोगो में अश्लीलता की उत्पत्ति होकर उनका चरित्र भ्रष्ट होता है जो राष्ट्रोन्नति की दृष्टि से एक बड़ा शोचनीय तथ्य है। अश्लीलता मानवीय आस्था को नष्ट कर डालने वाली डायन है। आस्थाहीनता से अश्लीलता जन्मती है। अश्लीलता असभ्यता की बहुत बड़ी पहचान है और असभ्यता पशुता का लक्षण है। इसका ठीक-ठीक अर्थ है कि जो अश्लील है वो पशु है और मनुष्य होकर पशुता का लांछन लेने से बढ़कर कोई दुर्भाग्य नहीं। आठ मनुष्य बने रहने और उससे बढ़कर देवत्व के समीप पहुंचने के लिया मनुष्य को अपने जीवन से अश्लीलता का एकदम बहिष्कार कर देना चाहिए। उसे चाहिए कि न तो वह स्वयं अश्लील बने और न किसी अश्लीलता को पास फटकने दें।
आप से निवेदन है कि इस पोस्ट को दूर दूर तक फ़ैलाने में सहयोग दे। बड़ी मेहनत से अपने और परम् पूजनीय श्री रामशर्मा आचार्य जी के विचारो को लिख कर फ़ैलाने की कोशिश है।
आप भी अपने विचार दे जिससे इसकी रोकथाम और इसका सदुपयोग करने की दिशा में कोई क्रांति आ सके !
लेखक- पंडित श्री राम शर्मा
देशभक्त बनो, पार्टी भक्त नही
जयश्रीराम मित्रो
आज कल आतंकवादी हमले जोरो पर है और भारतीय जवान दुश्मनों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे है पर बदले में कुछ मीडिया समूह वास्तविक खबर में मिर्ची मसाला लगाकर य झूठ फैला कर अपनी रोटियां सेक रहे है ! बीते दिनों 20 आतंकवादी की झूठी खबर फैला कर न केवल भारत की मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल दागे गये बल्कि भारतीय जनता की भावनाओ के साथ खेल खेला गया क्योंकि झूठी खबर को सच मान कर लोगो ने खुशियां मनाना शुरू कर दिया ! कुछ तो ख़ुशी से पागल हो गए थे ! पर जब सेना ने इस बात का खंडन किया तो सबके चेहरे देखने लायक थे खासकर उनके जो व्यक्तिविशेष की चाटुकारिता में पागल हो गए थे ! 56 इंच के नारे लगने शुरू हो गए और जवानों की बवहादुरी को दरकिनार करके एक तरफ रख दिया गया मानो 20 आतंकवादी को किसी व्यक्तिविशेष ने ही सफाया कर दिया गया हो !! खैर ये सब तो बनाई गई खबरे थी ! इसको ज्यादा तूल देना बेकार होगा !
भारतीय सेना ने कहा था की हम जवाब जरूर देंगे और बदले में उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पाक अधिकृत कश्मीर में जाकर सफलता पूर्वक अंजाम दिया ! जिसमे फिर से मीडिया ने अपनी सूत्रों का हवाला देते हुए कभी 38 तो कभी 40 आतंकवादी को मारा गया बताया ! आम नागरिक को ये समझ नही आता कि जब भारतीय सेना अपने सफलता पूर्वक स्ट्राइक में मारे गए आतंकवादी की संख्या बताने में हिचक रही है तो ये कौन से मीडिया के सूत्र है जो संवेदनशील जगहों में जाकर इतनी सटीक जनाकारी हासिल कर लेती है !!
कभी कभी तो लगता है कि मीडिया के ये सूत्र काल्पनिक है जिसके आधार पर ये झूठी खबर चलाती है ताकि अधिक लोकप्रियता और मुनाफा हासिल हो सके !! 38 य 40 जितने भी दुश्मन मारे गए हो,ख़ुशी इस बात की है हमारे जवानों ने दुश्मनों का मुंहतोड़ जवाब दिया और उस के बाद चाटुकारिता की जो आंधी आई वो देखने लायक थी ! हर जगह 56 इंच के नारे ! ऐसा लग रहा था मानो पूरे देश में कोई कच्छे-बनियान की सेल लगी हो ! जवानों को शुक्रिया य उनके नारों की जहां जय जयकार होनी चाहिए वहां चाटुकारिता का ऐसा मंजर इससे पहले 2014 और बिहार चुनाव में दिखा था ! सोशल नेटवर्किंग साइट में आईटी-सेल ने अपना काम बखूभी किया और जमकर मोदी मोदी किया गया ! हालाँकि वे प्रशंसा के हकदार है इसका मतलब ये नही कि जो प्रशंसा के सच्चे हकदार है उसे दरकिनार करके आप पार्टी भक्ति,व्यक्ति भक्ति में लींन हो जाओ और देश के अन्य समस्याओं को न दिखाओ ! न मीडिया ने न देश के नागरिक ने ये जरूरी समझा कि जो लोग पंजाब से पलायन कर रहे है उनका क्या होगा !! उनके बारे में किसी भी पार्टी भक्त ने कोई ट्रेंड नही निकाला पर मोदी मोदी करके अपनी चाटुकारिता का परिचय जरूर दे दिया !!
किसीको परेशानी नही है आप किसी व्यक्ति का गुणगान करो पर हर एक चीज की मर्यादा होती है ! इस के कारण देश की जो अन्य मुख्य खबरे है वे सुर्खियां भी न बन सकी और देशभक्तो को तब ज्यादा अच्छा लगता जब आप जवानों को भी थोड़ा कवरेज देते खासकर सोशल मीडिया ग्रुप ! मात्र रोटियां सेंकने और व्यक्तिविशेष की कृपा पाने के मकसद से 24 घण्टे मोदी मोदी चिल्लाने वाले थोड़ा देश के जवानों का भी गुणगान कर लो और हो सके तो पंजाब से जो लोग पलायन कर रहे है उनकी भी जरा सुध ले लो !!
कुछ चिंतको और मीडिया के वरिष्ठ पत्रकारों ने ये भी दावा किया है कि पंजाब चुनाव और यूपी चुनाव नजदीक आ रहे है जिसके लिये बीजेपी के लिये माहौल बनाने के लिये इन्हें पैसे दिए गए है !! और किसी आत्महत्या में अमितशाह के नाम आने से भी मीडिया इस खबर को दबाने में लगा हुआ है !! अब ये स्पष्ट हो चूका है कि मीडिया मात्र धनवान और नेताओं की कठपुतली है जिसका कोई भी इस्तेमाल कर सकता है ! इस लेख का मकसद किसी पार्टी भक्त य व्यक्तिभक्त का दिल दुखाना नही अपितु देशभक्त और जवानों का दुःख बताना है क्योंकि उस शहीद परिवार और जवानों के परिवार को दुःख होता है जब उसके फर्ज को नजरअंदाज करके किसी व्यक्ति य पार्टी को प्रचारित किया जाता है !!
जयहिंद वन्देमातरम्
भारत माता की जय
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कितने ही देवी देवता और इनमें इतनी ही अपार श्रद्धा कि भक्त अपने भगवान पर इतना भरोसा करते हैं कि उनके लिये कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते है...
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जयश्रीराम मित्रो आज कल आतंकवादी हमले जोरो पर है और भारतीय जवान दुश्मनों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे है पर बदले में कुछ मीडिया समूह वास्तविक...
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आज के दैनिक जीवन में सिनेमा,सीरियल ही अश्लीलता बढ़ाने के प्रमुख कारण है ! कुछ तत्व हमारे युवाओ पर अश्लीलता का कलंक थोप रहे है। पर इनमे...
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वर्तमान समय में जो भी कलाकार धर्म या लोगो के पूजनीय ईश्वर पर आधारित कोई फिल्म बनाते य उसमे अपनी किरदार की भूमिका निभाते है तो उसको विशेष...
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फिल्म मदारी का ये डायलॉग आज के वर्तमान सरकार य पिछली जितनी भी सरकार हुयी उसमे अधिकांश के लिए ये डायलॉग उपयुक्त बैठता है क्योंकि साफ-सुथरे ...
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ये शब्द प्रद्युम्न के माँ ने कहा और इसे सुनने के बाद रोंगटे खड़े हो गये और मन भावुक हो गया ! आंसू छलक ही गये !! सोचकर भी रूह कांपता है !! अ...
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दिल्ली मेट्रो में सफर के दौरान आपको कई जगह विमल पान मसाला और अन्य गुटखा के प्रचार दिख जायेंगे !! मै ये सब नही खाता पर मै गुटखा खाने वालो ...
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हम और आप ईश्वर की भक्ति अपनी श्रद्धा,नियम,कायदे के अनुसार करते तो है लेकिन ये नियम और श्रद्धा को पोषित कौन करता है इस पर कभी गौर नही करत...
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गन्ने के जूस निकालने वाली मशीन की तरह है वर्तमान की शिक्षा व्यवस्था ! ऐसा इसीलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि प्रथम दृष्टिकोण में ये इसी से मे...
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आज जहाँ देखो वहां लड़ाई-झगड़े की खबर सुनने को मिल रही है ! अधिकांश का कारण है पैसा ! विपन्नता ! ये विपन्नता का जिम्मेदार कौन है ? अगर इस प...